नैगम सामाजिक दायित्व
नैगम सामाजिक दायित्व
सीएसआर की यात्रा:
पिछले 2 दशकों के दौरान, नैगम सामाजिक दायित्व (सीएसआर) का प्रारंभ कारोबार संबंधी मूल्यों एवं दीर्घकालिक सतत विकास की दृष्टि से सामाजिक, पर्यावरणीय एवं नैतिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते हुए मौजूदा समुदाय के साथ कारोबार संबंधी हितों को साथ में लेकर सरल रूप में परोपकारी गतिविधियों के साथ हुआ है ।

एचएएल मानता है कि हरेक कारोबारी निकाय के पास सामाजिक हित में भी कार्य करने की एक निश्चित प्रक्रिया होनी चाहिए, जिनमें रहकर वह कार्य करता है । कंपनी के कारोबारी सिद्धांतों के अंतर्गत कंपनी के विकास के साथ-साथ नैगम सामाजिक दायित्वों की पहल के माध्यम से आसपास के समाज के विकास को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।    

एचएएल सतत विकास, सामाजिक प्रक्रिया के साथ कारोबारी प्रक्रिया के एकीकरण तथा मौजूदा समाज, जिसमें वह कार्य करता है, उनकी समस्याओं के निवारण हेतु कारगर साधन के रूप में नैगम सामाजिक दायित्व को अपनाने की आवश्यकता को भली-भाँति पहचानता है । कंपनी स्वीकार करती है कि इसके कार्य निष्पादन को आर्थिक प्रभाव, सामाजिक प्रभाव एवं पर्यावरण प्रभाव जैसे तीन आधारभूत स्तर पर भी देखा जाएगा ।   

एचएएल ने एक जिम्मेदार संगठन के रूप में, सतत विकास की दृष्टि से स्थानीय समुदायों के साथ सक्रिय रूप से कार्य करेते हुए समुदाय आधारित विकास संबंधी दृष्टिकोण को अपनाया है ।  

एचएएल के प्रभाग देश भर में सुदूर माने जानेवाले स्थानों (जैसे कोरापुट, उड़ीसा में स्थित प्रभाग) में फैले हुए हैं, जहाँ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा आदिवासियों को मिलाकर उनकी आबादी 65% (लगभग) तक है । ऐसे स्थानों को चुनने का उद्देश्य ही पिछड़े क्षेत्रों में विकासात्मक कार्यकलापों को प्रारंभ करना था । 

एचएएल की सीएसआर पहल किसी बाध्यता के कारण न होकर 'स्व प्रेरणा के साथ' प्रारंभ की गई   है । एचएएल अपने प्रचालन के आसपास के स्थानीय क्षेत्रों में सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों एवं समाज के हाशिए तथा कमजोर वर्गों की जीवन शैली को बेहतर बनाने की दृष्टि से सीएसआर संबंधी परियोजनाएँ /कार्यकलाप संपन्न करता रहा है । एचएएल ने विभिन्न सामुदायिक विकासात्मक कार्यकलापों के माध्यम से लोगों की जरूरतों को पूरा किया है ।   

एचएएल निम्नलिखित क्षेत्रों में निधियों की आवश्यकता एवं उपलब्धता के आधार पर, अपने आसपास स्थानों में सीएसआर संबंधी प्रोजेक्ट / कार्यकलाप करता रहा है :
बुनियादी विकास : 

पक्की सड़क /सिमेंट कांक्रीट/वाटर बाउंड मेकडम (डब्ल्यूबीएम) की सड़क का निर्माण । रसोई घर एवं शौचालयों के साथ सामुदायिक हॉल का निर्माण । गाँवों में सोलर /परंपरागत स्ट्रीट लाइट्स/हाई-मास्ट लाइट्स का प्रावधान । सड़क का निर्माण करते समय वर्षा जल निकास हेतु निर्माण भी किया जाता  है । 

शिक्षा : एचएएल विद्यालयों के लिए डेस्क, बेंच, कंप्यूटर, ऑडियो विजुवल उपस्कर तथा गाँवों के सरकारी विद्यालयों में अध्ययन कर रहे बच्चों के लिए पुस्तक, कलम आदि जैसे लेखन सामग्री  प्रदान करता रहा है । स्वच्छ विद्यालय के अधीन सरकारी विद्यालयों में शौचालयों का निर्माण किया गया है । निधि की आवश्यकता एवं उपलब्धता के आधार पर, चयनित स्थानों पर विद्यालय भवन, कक्षाएँ, लैब, चहारदीवार, रसोई घर, भंडार कक्ष, भोजन कक्ष आदि का भी निर्माण किया जाता है ।  

कोरापुट जिले को उड़ीसा के अत्यधिक पिछड़े जिले के रूप में माना जाता है तथा यहाँ सर्वाधिक रूप से अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोग निवास करते हैं । विद्यालय जानेवाले बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण मौजूदा कक्षाएँ पर्याप्त नहीं हैं । उपरोक्त परिस्थिति में, जिला प्रशासन, कोरापुट ने वर्ष 2016-17 के दौरान सीएसआर के अधीन सरकारी विद्यालयों में 50 अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण हेतु एचएएल कोरापुट प्रभाग से सहायता माँगी थी । उपरोक्त की सहमति प्रदान की गई तथा जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए), कोरापुट के माध्यम से जिला प्रशासन द्वारा उक्त कार्य को संपन्न किया गया है ।  

पेय जल : कूआँ एवं ट्यूब वेल के माध्यम से स्वच्छ पेय जल प्रदान किया जाता है । जल की गुणवत्ता के आधार पर, विद्यालयों एवं गाँवों में रिवर्स अस्मोसिस (आरओ) सिस्टम भी प्रदान किया जाता है । हौदी (सम्प) एवं ओवरहेड टैंक का निर्माण किया जाता है तथा चुनिंदा गाँवों के सड़कों में एक कामन पाइंट पर पाइप लाइन रखे जाते हैं ।

जिला प्रशासन, रंगारेड्डी जिला, तेलंगाना सरकार की संस्तुतियों के आधार पर, एचएएल हैदराबाद प्रभाग द्वारा मुरलीनगर (गाँव), रंगारेड्डी जिला, तेलंगाना को अपनाया गया है । गाँव में उपलब्ध जल फ्लोरिन के कारण प्रदूषित हुआ है, जिससे लोग अस्थि संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं । अतः एक समुदाय आधारित आरओ प्लांट प्रदान किया गया तथा कार्ड स्वाइपिंग के माध्यम से स्वचालित मशीन द्वारा हरेक परिवार को प्रतिदिन 20 लीटर जल की आपूर्ति की जा रही है ।  

नदी का कायाकल्प : एचएएल द्वारा वर्ष 2014-15 के दौरान, इंटरनैशनल एसोसियेशन फॉर ह्यूमन वाल्यूज (आईएएचवी) के सहयोग से बेंगलूर शहर को जल की आपूर्ति करनेवाली कुमुदावती नदी का कायाकल्प संबंधी कार्य प्रारंभ किया गया है । कुल 18 वाटर शेड में से 4 मिनी वाटर शेड का निर्माण किया गया । ग्राम पंचायत को अप्रैल 15, मई 16 एवं अप्रैल 17 के दौरान उक्त स्ट्रक्चर्स सुपुर्द किए गए । स्थानीय लोगों से प्राप्त सकारात्मक परिणामों एवं अच्छी प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए, वर्ष 2017-18 के दौरान एचएएल ने तीन और मिनी वाटर शेड के निर्माण का कार्य प्रारंभ किया । इस प्रोजेक्ट के परिणामस्वरूप निष्क्रिय बोरवेल का पुनरुद्धार, भूजल स्तर को बढ़ाना एवं सिंचाई टैंक जैसे कार्यों को शामिल किया गया । इससे क्षेत्र में विभिन्न कृषि –बागवानी संबंधी विकास तथा प्राकृतिक पेड़-पौधे एवं जैव विविधताओं में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है ।     

स्वास्थ्य संबंधी देखभाल: एचएएल द्वारा अपने प्रभागों के आसपास के क्षेत्रों में नेत्र, गाइनिकोलॉजी, डेंटल, पेडियाट्रिक्स तथा वृद्ध रोगियों, बच्चों एवं गंभीर रोग से बीमार रोगियों की सुविधा के लिए सामान्य दवा आदि के संबंध में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करता रहा है । चुनिंदा स्थानों में भर्ती एवं बाह्य रोगियों का निःशुल्क उपचार किया जाता है । विकलांग व्यक्तियों के लिए कृत्रिम अवयव (आर्टिफिशियल लिंब) एवं सहायक साधनों (असिस्टिव डिवाइसेज) का वितरण भी किया जाता है । 

कौशल विकास: चुनिंदा प्रभागों में कैड, कैम, कंप्यूटर हार्डवेयर एवं नेटवर्किंग, विद्युत गैजेट मरम्मत, सीएनसी मिल्लिंग, सीएनसी टर्निंग आदि में युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है ।  

एचएएल कोरापुट प्रभाग के आसपास के क्षेत्रों में रह रहे बेरोजगार युवाओं को रासायनिक एवं उर्वरक मंत्रालय के अधीन अग्रणी राष्ट्रीय संस्थान केंद्रीय प्लास्टिक अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सीपेट) में 6 माह से 1 वर्ष की अवधि के लिए रोजगार अभिमुखीकरण कोर्स के लिए भेजा जा रहा  है । इस संस्थान ने न्यूनतम 70% उत्तीर्ण विद्यार्थियों के लिए रोजगार का आश्वासन दिया है । उत्तीर्ण विद्यार्थियों को पूरे भारत में विभिन्न निजी उद्योग, अधिकांशतः प्लास्टिक से संबंधित उद्योग, में नौकरी प्रदान की गई है ।   

एचएएल –आईआईएससी कौशल विकास केंद्र : एचएएल युवाओं को यांत्रिक एवं वैद्युत क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए चेल्लेकेरे, चित्रदुर्गा के पास एचएएल आईआईएससी कौशल विकास केंद्र की स्थापना कर रहा है । उक्त केंद्र को वर्ष 2018-19 तक पूरा करने की योजना है । उक्त प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत रु. 74 करोड़ है ।    

नवीकरणीय ऊर्जा: चुनिंदा गाँवों में सोलर स्ट्रीट लाइट्स एवं सोलर वाटर हीटर प्रदान किया गया है । चुनिंदा गाँवों में, जहाँ विद्युत सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहाँ पर रह रहे लोगों (हरेक परिवार के लिए एक) के लिए सोलर घरेलू लालटेन की आपूर्ति की जा रही है । चुनिंदा आवासी विद्यालयों में बालिकाओं, अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति, बधिर, मानसिक रूप से अक्षम, अनाथाश्रम एवं वृद्धाश्रम आदि के लिए सोलर घरेलू लालटेन प्रदान किया गया है । 
बार-बार बिजली जाने के कारण, ग्रामीण क्षेत्रों के कई विद्यालय दिन में विद्यालय समय के दौरान  कंप्यूटर लैब जैसी बुनियादी सुविधाओं का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं । एचएएल ने कर्नाटक गुब्बि तालूक में 50 से भी अधिक विद्यालयों में दो दिन तक स्वचालित बैटरी के बैकअप के साथ 4 किलोवाट ऑफ ग्रिड पावर सोल्यूशन्स प्रदान किया है । 
खेलकूद :
एचएएल अपने चुनिंदा प्रभागों के आसपास के गाँवों में युवाओं के लिए फुटबाल, कबड्डी, वॉलीबाल एवं क्रिकेट आदि क्षेत्रों में खेलकूद टूर्नामेंट आयोजित करता रहा है । स्कूली छात्रों के लिए वार्षिक स्कूल स्पोर्ट्स प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है । पड़ोसी गाँवों के विद्यालयों / युवाओं के लिए क्रिकेट, फुटबाल, वॉलीबाल एवं बैडमिंटन आदि के लिए स्पोर्ट्स किट का भी वितरण किया जा रहा है । 

बेंगलूर स्थित फुटबाल अकादमी: 

जहाँ तक युवा प्रतिभा को उच्चकोटि के खिलाड़ी के रूप में विकसित करने का प्रश्न है, बेंगलूर में फरवरी 2016 को 'अंडर 15' हेतु फुटबाल अकादमी का उद्घाटन किया गया । आगे, 'अंडर 18' अगस्त 2016 से कोचिंग प्रारंभ की गई है । इसका उद्देश्य विशेष प्रतिभा रखने वाले खिलाड़ियों को पहचान कर, उन्हें विकसित करना है तथा कठिन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए उन्हें तैयार करना है । व्यावसायिक रूप से विकसित करने के साथ-साथ इन युवा खिलाड़ियों के सर्वांगीण रूप से व्यक्तित्व विकास पर भी जोर दिया जाता है । चयनित खिलाड़ियों को व्यावसायिक कोचिंग ध्यानपूर्वक प्रदान की जा रही है । इसकी क्षमता 'अंडर 15 वर्ष' –21 खिलाड़ियों; तथा 'अंडर 18 वर्ष' – 15 खिलाड़ियों की है ।    

उचित बुनियादी सुविधाएँ युवा विकासात्मक कार्यक्रमों हेतु मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है । इसे ध्यान में रखते हुए, एचएएल ने बेहतर किस्म की प्राकृतिक घास का मैदान (टर्फ ग्राउंड) प्रदान किया है, जो वैयक्तिक कौशल के विकास में सहायता करता है । इस टर्फ मैदान का उपयोग I लीग टीम एवं विदेशी टीम जैसे विभिन्न श्रेष्ठ कई आगंतुक टीमों के प्रशिक्षण हेतु भी किया गया है, जब कभी वे टूर्नामेंट या मैच प्रदर्शन के लिए बेंगलूर आती हैं । विद्यार्थी स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हेतु आधुनिक जिम्नासियम तथा अत्याधुनिक स्विमिंग पूल का भी उपयोग कर रहे हैं, जोकि उसी कॉम्प्लेक्स में स्थित है ।   

एचएएल कोरापुट में एसएआई-एचएएल स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर : 
जनजाति /स्थानीय खेलकूद प्रतिभा को पहचानकर उसे प्रोत्साहित करके एवं उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने की दृष्टि से एचएएल कोरापुट प्रभाग में भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) की तकनीकी सहायता एवं प्रशिक्षकों की तैनाती के साथ वर्ष 2010 में सीएसआर पहलुओं के अंतर्गत एसएआई-एचएएल स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की गई है ।  

इस केंद्र ने जुलाई 2010 से फुटबाल एवं धनुर्विद्या जैसे दो क्षेत्रों में प्रारंभिक रूप से प्रशिक्षण की शुरुआत की थी । वर्ष 2016-17 से ''अथ्लेटिक्स'' को जोड़ा गया है । इसकी प्रशिक्षण की अवधि     3 वर्ष है तथा संबंधित खेलों में प्रदर्शन के आधार पर 21 वर्ष की आयु तक इसे बढ़ाया जाता है । उड़ीसा (कोरापुट–बलांगीर-कलहांडी, अर्थात केबीके क्षेत्र) के जिलों में रह रहे अधिकांश पिछड़े वर्ग एवं अनुसूचित /अनुसूचित जनजाति के 12 से 15 वर्ष की आयु समूह के अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जाता है । 

सीएसआर नीति:

कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के अधीन निर्धारित उपबंधों के अनुसार कंपनी की सीएसआर नीति का पुनः तैयार किया  गया । इसमें नीति विवरण, उद्देश्य, कार्य क्षेत्र, बजट एवं अनुमोदन, कार्यान्वयन एवं समीक्षा प्रक्रिया, रिपोर्टिंग, प्रभाव निर्धारण, मूल्यांकन आदि का उल्लेख है ।  

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